पवन गुरु जी उन लाखों में से एक हैं जिन्होंने जीवन में कहीं उतार-चढ़ाव देखे परंतु जब से उन्हें अपने गुरुद्वारा भगवान याने भक्ति का मार्ग मिला तब से जीवन में प्रभु कृपा के माध्यम से उन्होंने जीवन की गंभीरता पर विचार किया और यह जाना की वास्तविकता में सुख दुख कुछ है ही नहीं यह सब मन एवं बुद्धि के तर्क हैं वास्तविकता में जीवन प्रभु ने हमें भक्ति के लिए दिया है और प्रभु की भक्ति यदि सरल भाव से इस कलयुग में की जाए तो जीवन में कभी निराश होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि संत तुलसीदास जी ने भी कहा है “कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उत्तरपारा.”